Thursday 28 March 2013

ठंडी कुल्फ़ी


ठेली वाला चिल्ला रहा होगा
‘‘कुल्फ़ी... ठंडी ठंडी कुल्फ़ी’’

नया जोड़ा
प्रेम की गर्म सांसों को भूल कर
जाएगा ठंडी कुल्फ़ी की ठेली पर

‘भईया दो कुल्फ़ी’
इसी मांग के साथ
उन्हें थमा दी जाएंगी
ऐतिहासिक तलवारों सी कुल्फियां
गर्म हवा की पिचकारियों से लड़ने को

भरी दोपहर में
जब मरते दम तक साथ निभाने वाली
छाया भी खेल रही होगी
छुपम छुपाई
प्रेमी करेगा वादा
आश्मां से तारे तोड़ लाने का

प्रेमिका की हलकी हंसी
और उसके फ़सने का एहसास
उसके वादे को लिख देंगी
कांच के भंगुर कागज पर

पिघल रही कुल्फ़ी
झुटला देगी
हर कठनाई में
उसके हिमालय बनने के वादे को

प्रेमी सिकोड़ देगा अपनी भोहें
जब वे सुनेंगे
अधनंगे बच्चे से
उनकी जोड़ी के सलामत रहने का श्लोक.

प्रेमिका यमुना नहीं है
नहीं है कुल्फ़ी से टपकती बूँद
जिसकी नियति ही में हो
‘ओह’ और ‘अरे’ का संगीत

वह पैदा करेगी
अपनी हंसी के बाद
सिकुड़ती भोहों की जमीं पर  
‘नहीं’ के स्वर का तूफान

ठेली वाला चिल्ला रहा होगा
‘‘कुल्फ़ी... ठंडी ठंडी कुल्फ़ी’’






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