Monday, 11 March 2013

पोस्टकार्ड

तुम लिखती रहना
पोस्टकार्ड
और भी बड़े अर्थों में

तुम्हारा लिखा हर एक अक्षर
मैं सहेजुंगा
अपनी-हमारी यादों की किताबों में
जहाँ यह धत्ता बता देगा
नजरबन्द करती दीवारों को
और साबित कर देगा उन्हें
एक झीना पर्दा

तुम्हारा लिखा हर एक पोस्टकार्ड
उतार फेंक रहा होगा
ग्लोबलाइजेशन की सदी में
महान लोकतंत्र के मुखौटे को.



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