अगर मजदूर के लिए भूगोल
होता
तो उनके लिए मसूरी में बर्फ गिरती,
चाय की चुसकियों से
महसूस की जाने वाली बारिश
उनके लिए होती,
उनकी थक चुकी पीठ को
सहलाने के लिए
सूरज केवल गोवा बीच पर
गुनगुनी धूप नहीं छोड़ता;
तो उनके लिए मसूरी में बर्फ गिरती,
चाय की चुसकियों से
महसूस की जाने वाली बारिश
उनके लिए होती,
उनकी थक चुकी पीठ को
सहलाने के लिए
सूरज केवल गोवा बीच पर
गुनगुनी धूप नहीं छोड़ता;
भूख के ज्वालामुखी
छ: महीने में ही फटते,
पसीने की बाढ़
हर रोज नहीं दिखती,
नहीं होता
उनके शरीर का स्खलन,
न गर्म सांसों की लू
हर क्षण लहाती,
न ही उनकी
अक्षांश और देशांतर स्थितियां
हर रोज बदलती.
छ: महीने में ही फटते,
पसीने की बाढ़
हर रोज नहीं दिखती,
नहीं होता
उनके शरीर का स्खलन,
न गर्म सांसों की लू
हर क्षण लहाती,
न ही उनकी
अक्षांश और देशांतर स्थितियां
हर रोज बदलती.
फिजिक्स किसान के लिए होती तो
खेतों में उनके द्वारा किया गया कार्य
कभी शून्य नहीं मापा जाता;
मापा जाता
उनके सर पर सूरज का भार,
बारिश के न होने से
उनकी धडकनों का वेग,
उनके शरीर में उबलने वाले खून का तापमान,
सुनी जाती कुछ श्रव्य तरंगे
उनके दिलों से,
मापी जाती उनके आँखों की
कुछ ही फैदम की गहराई,
खेतों में उनके द्वारा किया गया कार्य
कभी शून्य नहीं मापा जाता;
मापा जाता
उनके सर पर सूरज का भार,
बारिश के न होने से
उनकी धडकनों का वेग,
उनके शरीर में उबलने वाले खून का तापमान,
सुनी जाती कुछ श्रव्य तरंगे
उनके दिलों से,
मापी जाती उनके आँखों की
कुछ ही फैदम की गहराई,
उनके चहरे
सारे रंगों को नहीं सोखते,
न उनकी आशाओं का
प्रकाश बुझता,
न ही उनके घरों की लाइन में
हमेशा बाधित करंट बहता.
गणित मेहनतकश हाथ पर
सीधी न सही
कुछ वक्र रेखाए जरुर खींचता,
उनके शरीर की परिधि पूछने से पहले
फीता रुपयों का गुना भाग नहीं करता,
टोपोलॉजी का एक सीन तो
उनकी दुनियां के लिए आरक्षित होता
जिसका आयतन
सबसे पहले कैलकुलेट किया जाना था
सारे रंगों को नहीं सोखते,
न उनकी आशाओं का
प्रकाश बुझता,
न ही उनके घरों की लाइन में
हमेशा बाधित करंट बहता.
गणित मेहनतकश हाथ पर
सीधी न सही
कुछ वक्र रेखाए जरुर खींचता,
उनके शरीर की परिधि पूछने से पहले
फीता रुपयों का गुना भाग नहीं करता,
टोपोलॉजी का एक सीन तो
उनकी दुनियां के लिए आरक्षित होता
जिसका आयतन
सबसे पहले कैलकुलेट किया जाना था
समय के चक्र वृद्धि व्याज को
भी
उनके सपनों पर नहीं लगना था,
न उनकी पीठ की वक्रता
पुल की रिंच का प्रतिबिम्ब होनी थी
न ही उनकी वंचना को
झोपड़ी से महल
और महल से झोपड़ी के बीच
बार बार समाकलित किया जाना था
अगर गणित मेहनतकश के लिए होती
उनके सपनों पर नहीं लगना था,
न उनकी पीठ की वक्रता
पुल की रिंच का प्रतिबिम्ब होनी थी
न ही उनकी वंचना को
झोपड़ी से महल
और महल से झोपड़ी के बीच
बार बार समाकलित किया जाना था
अगर गणित मेहनतकश के लिए होती
इतिहास तो उनका हो सकता था
जिन्होंने रखा गर्भगृह के ठीक ऊपर
चट्टान का चक्र
जिन्होंने की
मस्जिदों पर नक्काशी
जिन्होंने खुद को चिना ईशु से पहले
चर्चों पर
जिन्होंने नहीं बनाई ताजमहल सी कब्र
सर्द चांदनी रातों के लिए
नहीं बनाई कोई सड़क
उनके घरों तक के लिए
नहीं खोदे तालाब
उनके गले के लिए
जिन्होंने रखा गर्भगृह के ठीक ऊपर
चट्टान का चक्र
जिन्होंने की
मस्जिदों पर नक्काशी
जिन्होंने खुद को चिना ईशु से पहले
चर्चों पर
जिन्होंने नहीं बनाई ताजमहल सी कब्र
सर्द चांदनी रातों के लिए
नहीं बनाई कोई सड़क
उनके घरों तक के लिए
नहीं खोदे तालाब
उनके गले के लिए
जो तब भूल गये
अपनी चीखों को शिलालेखों पर अंकित करना
जब वे बह रहे थे
समय की दरिया में
निर्माणाधीन पुलों से खाली हाथ
जब वे गिर रहे थे
क़ुतुबमिनार के अंतिम पत्थर के साथ
इतिहास उनका तो हो ही सकता था
अपनी चीखों को शिलालेखों पर अंकित करना
जब वे बह रहे थे
समय की दरिया में
निर्माणाधीन पुलों से खाली हाथ
जब वे गिर रहे थे
क़ुतुबमिनार के अंतिम पत्थर के साथ
इतिहास उनका तो हो ही सकता था
पर न वे विषय होते हैं
न मजदूरों लिए
भूगोल होता है,
किसानों के लिए नहीं होती फिजिक्स
गणित मेहनतकशों की नहीं होती
इतिहास नहीं होता
न मजदूरों लिए
भूगोल होता है,
किसानों के लिए नहीं होती फिजिक्स
गणित मेहनतकशों की नहीं होती
इतिहास नहीं होता
हाँ उनकी होती है भाषा
मेहनत की भाषा
मेहनत की भाषा
जो सुनी जा सकती है
उस हथौड़े की चोट पर
जो नहीं कर सकता फ़र्क
ऊँगली और पत्थर के बीच
उस हथौड़े की चोट पर
जो नहीं कर सकता फ़र्क
ऊँगली और पत्थर के बीच
जो महसूस की जा सकती है
पसीने से गीली हुई
मिट्टी की गंध से
पसीने से गीली हुई
मिट्टी की गंध से
जो देखी जा सकती है
चलती हुई घड़ी की अकड़न में
उसकी घुटन में
उनका होता है अर्थशास्त्र
मुनाफे का शास्त्र
चलती हुई घड़ी की अकड़न में
उसकी घुटन में
उनका होता है अर्थशास्त्र
मुनाफे का शास्त्र
जिसे पढ़ा जा सकता है
खेतों की मेंढों पर
टूटते पत्थरों से निकलती गर्म हवा में
मशीनों के बीच
खेतों की मेंढों पर
टूटते पत्थरों से निकलती गर्म हवा में
मशीनों के बीच