फसल
फसल पक गई है
तैयार है
बाज़ार में बिकने के लिए
तैयार है
बाज़ार में बिकने के लिए
खरीददार आए
कुछ ने कहा मोटी है
कुछ ने कहा छोटी है
और चले गए
फसल वैसी ही रह गई
बंद कमरे में
किसी कोने में
आँगन में, किसी दर में
टूटते तारों को देखती
तसव्वुर सजाती
सपनों में झूलती, अँधेरी रात में
समय को रोकती
हवा को पूछती
दिशाओं को देखती, सूरज की छाव में
फिर खरीददार आए
कुछ ने कहा ऐसी है
कुछ ने कहा वैसी है
फसल वैसी ही रह गई
दुनिया से छिपती
खुद को छिपाती
दौड़ती भागती, उजले संसार में
हिलोरे लेती
लरजती
ज्वार का पेट भरती भूख में और प्यास में
कुछ ने कहा मोटी है
कुछ ने कहा छोटी है
और चले गए
फसल वैसी ही रह गई
बंद कमरे में
किसी कोने में
आँगन में, किसी दर में
टूटते तारों को देखती
तसव्वुर सजाती
सपनों में झूलती, अँधेरी रात में
समय को रोकती
हवा को पूछती
दिशाओं को देखती, सूरज की छाव में
फिर खरीददार आए
कुछ ने कहा ऐसी है
कुछ ने कहा वैसी है
फसल वैसी ही रह गई
दुनिया से छिपती
खुद को छिपाती
दौड़ती भागती, उजले संसार में
हिलोरे लेती
लरजती
ज्वार का पेट भरती भूख में और प्यास में
कुछ खरीददार और आएँगे
और चले जाएँगे
फसल वैसी ही रह जाएगी
सनद-याफ्त
अम्वात
घर में और बाज़ार में
फसल
जो लड़की है
जो ऐसी है वैसी है
जो छोटी है मोटी है
किसान की बेटी है
और चले जाएँगे
फसल वैसी ही रह जाएगी
सनद-याफ्त
अम्वात
घर में और बाज़ार में
फसल
जो लड़की है
जो ऐसी है वैसी है
जो छोटी है मोटी है
किसान की बेटी है
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