अब नहीं उगेगी
लटके हुए
केवल दो आमों की फसलें
तुम्हारी
सपाट बंजर छातियो पर;
क्रीम और टोनर की खादें
पैदा कर देंगी
रेगिस्थान पर मरुधान
पैदा कर देंगी
रसीले आम
सुडौल एप्पल
पैदा करेंगी
सिहरन की
लताएँ
मेरे भी शरीर में;
तब तब
वे पैदा करेंगी
लालसा
मेरे हाथों में
उन्हें समेट लेने की
उन्हें पंहुचा देने की
उनके नेकअंजाम तक
जब जब
तुम्हारी
हंसती हुई
धधकती हुई
छातीयां कहेगी
‘हाँ मैं स्त्री हूँ’
No comments:
Post a Comment