Friday 5 February 2016

थोपी गई सभ्यता के विरुद्ध

बगीचे में
जब भी बढ़े पेड़ पौधे
ढंग बेढंगे रूप में
उन्हें कटा गया करीने से,
कैंची से
खास आकार में
अलग स्वरूप देकर

कटने के तुरंत बाद
हर पेड़ पौधा
जिसे काटा गया था
खास आकार में
अलग रूप देकर,
बगावत करता है
बढ़ना शुरू करता है
उसी ढंग बेढंगे रूप के लिए
जिसे हम असभ्य कहते हैं
असुंदर कहते हैं

बार बार हुए
युद्ध में
जब धार भोथरा जाती हैै कैंची की
उसे धारदार बनाया जाता है
और
फिर काटा जाता है
असभ्य दीखते पेड़ पौधों को

लेकिन
बगावत फिर होती है
हर बार होती है
थोपी गई सभ्यता के विरुद्ध
'सभ्य' बनाये जाने के खिलाफ

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