समाज ने मुझे क्या सिखाया या समाज से मैं क्या सीखा , बतौर अनुभव उनकी रसीद ......
वह पैदा हुआ इन्सान के जैसे बड़ा हुआ भेड़ के जैसे उसने बुद्धि पाई शुतुरमुर्ग की जैसी अंत हुआ मुर्गे के जैसे।
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