Tuesday 20 January 2015

मुसहर कौन हैं?

बीत चुकी हैं
कई सदियाँ,
इन सदियों में बह चुकी हैं
कई नदियाँ,
सभ्यताओं के
कई युद्ध भी लड़े जा चुके हैं,
बंजर मैदानों में;
इन कई सौ सालों में
हजारों काम तुमने किये
स्वयं के महान होने के लिए  

अपनी गुलामी का इतिहास भी तुमने लिखा
और आज़ादी के स्वर्ण अक्षर भी,
आज़ादी के भी
मना चुके तुम कई दशक

शोक जताकर ही कही तुमने कुछ बातें
जैसे इस देश कभी सोने की चिड़ियाँ होने की बात
पर कुछ सपनों ने काफूर किया इस शोक को  
कि कुछ सालों में हम होंगे
सबसे मजबूत अर्थव्यस्था वाले देश में
कि सबसे ज्यादा विज्ञानी देश में
तुम्हारे सीने भी चौड़े हुए
कि अब ज़मीन से हवा में उड़ भी सकते हो तुम
और मार भी कर सकते हो ज़मीन से हवा में

और तो और
स्वयं को विश्व गुरु के तख़्त पर बैठने की कवायद भी
लाल किले पर तुमने की
पर आज तक तुमने नहीं बताया
कि मुसहर कौन हैं?

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