Monday 24 February 2014

आरक्षण



आरक्षण के विरोध में
मंच से वे बोल रहे थे
‘जब इन कटुओं को,
इन डुमड़ों को,
इन चमारों को,
इन भंगियों को
इनका कोटा दे दिया गया है
इनका आरक्षण दे दिया गया है
इनको भीख हमने दे दी है
क्यों ये हमारी सीटों को
हथियाते हैं?
क्यों ये हमारी सीटों पर
कब्ज़ा करते हैं?
क्यों ये हमारा गू
खाते हैं?
क्यों ये हमारा
मूत पीते हैं?’

पानी पी पी कर
वे विरोध कर रहे थे
माथे पर पसीना पोछ पोछ
कर
वे विरोध कर रहे थे

पर पानी पीने से पहले,
पसीना पोछने से पहले
बिना कुछ कहे
वे मांग कर चुके थे
अपने लिए आरक्षण की.

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