आरक्षण के विरोध में
मंच से वे बोल रहे थे
‘जब इन कटुओं को,
इन डुमड़ों को,
इन चमारों को,
इन भंगियों को
इनका कोटा दे दिया गया है
इनका आरक्षण दे दिया गया है
इनको भीख हमने दे दी है
क्यों ये हमारी सीटों को
हथियाते हैं?
क्यों ये हमारी सीटों पर
कब्ज़ा करते हैं?
क्यों ये हमारा गू
खाते हैं?
क्यों ये हमारा
मूत पीते हैं?’
पानी पी पी कर
वे विरोध कर रहे थे
माथे पर पसीना पोछ पोछ कर
वे विरोध कर रहे थे
पर पानी पीने से पहले,
पसीना पोछने से पहले
बिना कुछ कहे
वे मांग कर चुके थे
अपने लिए आरक्षण की.
मंच से वे बोल रहे थे
‘जब इन कटुओं को,
इन डुमड़ों को,
इन चमारों को,
इन भंगियों को
इनका कोटा दे दिया गया है
इनका आरक्षण दे दिया गया है
इनको भीख हमने दे दी है
क्यों ये हमारी सीटों को
हथियाते हैं?
क्यों ये हमारी सीटों पर
कब्ज़ा करते हैं?
क्यों ये हमारा गू
खाते हैं?
क्यों ये हमारा
मूत पीते हैं?’
पानी पी पी कर
वे विरोध कर रहे थे
माथे पर पसीना पोछ पोछ कर
वे विरोध कर रहे थे
पर पानी पीने से पहले,
पसीना पोछने से पहले
बिना कुछ कहे
वे मांग कर चुके थे
अपने लिए आरक्षण की.
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