Saturday 16 November 2019

धीमी मौत

तहखाने में
तपता हूँ,
कोयले सा
जलता हूँ


बनता हूँ
टूटता हूँ
कार्बन-डाई-ऑक्साइड के माफ़िक,
बिखरता हूँ

घुलता हूँ,
कार्बन-मोनो-ऑक्साइड सा
पसरता हूँ

रेंगता हूँ
शनै-शनै नथुनों में,
फैलता हूँ
इस पार से उस पार,
लहू सा
टपकता हूँ

सोता हूँ...
नींद  में
गहरी नींद में
बहुत गहरी...
लम्बी
बहुत लम्बी...
मीठी
बहुत मीठी...

उससे भी अधिक कड़वी

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