Saturday 16 November 2019

जो वादा किया था...


1.      चुक-चुक चुक-चुक
ट्रेन चल रही है  


आखिरी डिब्बे में
बज रहा है रेडियो
‘जो वादा किया था वो निभाना पड़ेगा
रोके जमाना चाहे रोके खुदाई
तुमको आना पड़ेगा’
तभी आती है
अजीब सी आवाज
एक झटका-सा
महसूस होता है कि-
हो रही है ट्रेन गति कम
 
मैं बाहर झांकता हूँ
देखता हूँ
टूट गई हैं जंजीरे
आखिरी डिब्बा हो गया है अलग

धीमे होते-होते
रुक गया है ट्रेन का आखिरी डिब्बा

ट्रेन बढ़ रही है अपनी गति से
बज रहा है रेडियो
हम अपनी वफ़ा पे न इल्जाम लेंगे
तुम्हें दिल दिया है
तुम्हें जान भी देंगे

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