Thursday 2 April 2020

ठहरना

ठहरना नहीं है
बस एक क्रिया
नहीं है बस
ठहर जाना

ठहरना है खड़े रहना
सूखे पेड़ का,
जो बढ़ता नहीं है
बस खड़ा रहता है
गिरता नहीं है
ताकि उसे पेड़ कहा जा सके

ठहरना है अवशेष छोड़ना
किसी नदी का
जिसमें पानी रहा होगा कभी
जो अब कहीं नहीं है
कथाओं के अलावा,
अवशेषों के अलावा, कहीं भी नहीं

ठहरना है बने रहना
मनुष्य का
जिसे मालूम है जीवन
मालूम है मृत्यु
सो वह बस बने रहता है
आत्महत्या नहीं चुनता
ताकि उसे कहा जा सके जीवन

होने और न होने के बीच
युद्ध की,
ठहरना एक पीड़ा है
ठहराव की

तुम्हारे पाँव #

[जब तुम्हारे चेहरे पर
नहीं ठहरती
मेरी नज़र
तब मैं तुम्हारे पाँवों की जानिब देखता हूँ
]#

तुम्हारे सख्त
धूप में जले
धूल में सने
चौड़े
बेतरतीब बढे हुए नाखुनों वाले
फटी एड़ीयों वाले पाँव

इन्हीं के सहारे है एक दुनिया,
सर पर रखा
पीठ पर ठहर गया

कन्धों से लटक रहा
इसी दुनिया का बोझ
इन्हीं पाँवों के सहारे है 

ओ हजारों किलोमीटर लम्बे दुःख जीने वाले
सैकड़ों किलो की पीड़ा सहने वाले
ओ पाँव
मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ
वेदनाओं को छूना चाहता  हूँ

# शीर्षक- तुम्हारे पाँव, पाब्लो नेरूदा की कविता
पहला स्टेंज़ा - पाब्लो नेरूदा की कविता तुम्हारे पाँव से ही