[जब तुम्हारे चेहरे पर
नहीं ठहरती
मेरी नज़र
तब मैं तुम्हारे पाँवों की जानिब देखता हूँ ]#
नहीं ठहरती
मेरी नज़र
तब मैं तुम्हारे पाँवों की जानिब देखता हूँ ]#
तुम्हारे सख्त
धूप में जले
धूल में सने
चौड़े
बेतरतीब बढे हुए नाखुनों वाले
फटी एड़ीयों वाले पाँव
धूप में जले
धूल में सने
चौड़े
बेतरतीब बढे हुए नाखुनों वाले
फटी एड़ीयों वाले पाँव
इन्हीं के सहारे है एक दुनिया,
सर पर रखा
पीठ पर ठहर गया
कन्धों से लटक रहा
इसी दुनिया का बोझ
इन्हीं पाँवों के सहारे है
सर पर रखा
पीठ पर ठहर गया
कन्धों से लटक रहा
इसी दुनिया का बोझ
इन्हीं पाँवों के सहारे है
ओ हजारों किलोमीटर लम्बे दुःख जीने वाले
सैकड़ों किलो की पीड़ा सहने वाले
ओ पाँव
मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ
वेदनाओं को छूना चाहता हूँ
सैकड़ों किलो की पीड़ा सहने वाले
ओ पाँव
मैं तुम्हें छूना चाहता हूँ
वेदनाओं को छूना चाहता हूँ
पहला स्टेंज़ा - पाब्लो नेरूदा की कविता तुम्हारे पाँव से ही
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