Tuesday 25 December 2018

तुम्हारे हाथ - 2


जब मैं छूता हूँ तुम्हारे हाथ 
पूरा होता है एक परिपथ
जो इलेक्ट्रॉनिक तो नहीं है
लेकिन फिर भी
स्पार्किंग होती है
मेरी और तुम्हारी आँखों में 

मैं थामता हूँ
तुम्हारे हाथों को अपने हाथों में
हम दोनों होते हैं आवेशित
और
एक फील्ड तैयार होता है
जो नहीं है मैग्नेटिक
लेकिन फिर भी
किन्हीं विपरीत ध्रुवी चुम्बकों की मानिंद
हमारे बीच कम होती है दूरी
और मैं रखता हूँ
तुम्हारे होंठो पर अपने होंठ

अनुप्रस्थ गति करती हो तुम  
जब तुम्हारे पैरों की उँगलियाँ
टिका देती हो तुम मेरे पैरों पर

मेरे हाथ घूमते हैं
तुम्हारी कमर और पीठ पर
और
तुम्हारे आवेशित हाथ बना देते हैं
आयनमण्डल
मेरे सर पर






तुम्हारे हाथ - 1


तुम्हारे और मेरे मिलने से पहले 
मैं मिलता हूँ
तुम्हारे हाथों से
जिन्हें मैं कभी कोमल नहीं कहता

जब
तुम्हारी उँगलियाँ फंसती हैं
मेरी उँगलियों के खाँचों में
मैं महसूस करता हूँ
सुबह की ठंडी हवा में
बह रही - ठहर रही
किसी पेड़ की सुरीली पत्तियों को

महसूस करता हूँ
तुम्हारी रूह के बाहर
लगे ताले के खुलने से ठीक पहले
गर्म धौकनी

महसूस करता हूँ
शांत सी बहने वाली
गहरी नदियों का असामान्य वेग

मैं छूता हूँ तुम्हारे हाथ
तब शुरू होती है
मुझे तुमसे मिलाने वाली
अनंत रेखा