Tuesday 25 December 2018

तुम्हारे हाथ - 1


तुम्हारे और मेरे मिलने से पहले 
मैं मिलता हूँ
तुम्हारे हाथों से
जिन्हें मैं कभी कोमल नहीं कहता

जब
तुम्हारी उँगलियाँ फंसती हैं
मेरी उँगलियों के खाँचों में
मैं महसूस करता हूँ
सुबह की ठंडी हवा में
बह रही - ठहर रही
किसी पेड़ की सुरीली पत्तियों को

महसूस करता हूँ
तुम्हारी रूह के बाहर
लगे ताले के खुलने से ठीक पहले
गर्म धौकनी

महसूस करता हूँ
शांत सी बहने वाली
गहरी नदियों का असामान्य वेग

मैं छूता हूँ तुम्हारे हाथ
तब शुरू होती है
मुझे तुमसे मिलाने वाली
अनंत रेखा  




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