Saturday, 16 November 2019

ससपेंडर


बहुत समय से
नदी के पार जाने का मन था

बहुत सुना था
वहाँ के बारे में...
वहाँ के पहाड़
नदी
झरने
पेड़
पक्षी
वहाँ की खूबसूरती के बारे में...

पर क्या हुआ कल
रह गई है दिल में
एक कसक सी

एक धमाका
सन्नाटा
मुर्दा शांति
और
टूट गया पुल

नदी बहे जा रही है
केबल लटक रहीं हैं
, टूट गई हैं
ससपेंडर खड़े हैं
ताक रहे हैं
एक दूसरे का मुख
अलग-अलग छोरों से




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